Reseña del libro "Kaljayi Yoddha Chhatrasal Bundela (en Hindi)"
हृदय में ईश्वर के प्रति अटूट आस्था लिये, कोमल-हृदय, कवि-कलाप्रेमी, विश्वस्त सखा, मानव ही नहीं, पशुओं का भी परम मित्र, महामानव, जितेंद्रिय, राजनीतिज्ञ, रणनीतिकार, दुर्धर्ष योद्धा, व्यर्थ की उदार-सद्गुण-विकृति विहीन, वीरों, महापुरुषों व महासंतों के प्रति श्रद्धावान-ऐसा बहुआयामी प्रतिभा-संपन्न, स्वधर्म प्रेमी, देशभक्त, अपने ही बल पर एक सुदृढ राष्ट्र-शक्ति का निर्माण करने में सफल हुआ- चंपतसुत छत्रसाल बुंदेला। 'कुत्ते की समाधि' तथा 'बऊवाजी की हवेली' उनके पशुप्रेम तथा जितेंद्रिय चरित्र के साक्षी हैं। औरंगजेब जैसे आततायी के विरुद्ध लड़े गए 252 युद्ध उनके प्रभावी योद्धा होने का प्रमाण हैं। मुगलों के क्रूर व अत्याचारी प्रशासन से मुक्ति दिलाकर, एक स्वतंत्र तथा आत्मसम्मान से परिपूर्ण हिंदू राज्य की स्थापना, हिंदुओं के धर्म-परिवर्तन प्रक्रिया की समाप्ति, गौ, ब्राह्मण व वेद के सम्मान की स्थापना-ये सब कार्य उन्हें युगपुरुष सिद्ध करते हैं। तेरह वर्ष के अनाथ बालक ने, जिसे मुगलों के भय के कारण सगी बहन व अन्य रिश्तेदारों तथा परम हितैषी समझे जानेवाले पुरोहित भान ने भी आश्रय देने से मना कर दिया, जिस धैर्य व सूझबूझ से मताई-बाप की मुगल सत्ता-उ&